हिंदी भाषा और तमिल भाषा विश्लेषण।

हिंदी भाषा से समस्या है या तमिल राजनीति से समस्या है एक दम सेटिक लेख, एक लेख सारे संदेह स्पष्ट।अतार्किक लड़ाई!
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हिंदी भाषा से किसे समस्या है, तमिल लोगों को या राजनेताओं को?
एक्चुअल में तब हिंदी से किसको प्रॉब्लम है?क्योंकि तमिल तो आम लोग बोलते है बाकी बड़े लोगों को तो सब को हिंदी आती है, इंग्लिश आती है, तमिल आती है।उनको कोई प्रॉब्लम नहीं है। वो अपने बच्चों को आराम से हिंदी सिखाते है और उसका फायदा उठाते हैं। लेकिन जब आम लोगों की बात आती है तो वो हमको प्रॉब्लम पॉलिटिक्स वाला बोलते है की हमको प्रॉब्लम है। ये हमारे ये भाषा है, इसके साथ पॉलिटिक्स करते हैं।तो एक्चुअल मैं यह है क्या? मुद्दा पॉलिटिक्स का मुद्दा है? सिर्फ वोटबैंक का मुद्दा है सिर्फ।बाकी कौन सी भाषाएं ऐसी हैं जो हिंदी की वजह से बाधित हुई है? क्या गुजरात में गुजराती ही नहीं चलती? क्या महाराष्ट्र में मराठी नहीं चलती? हिंदी के साथ क्या बंगाल में बंगाली नहीं चलती? हिंदी के साथ?
किसको समस्या है

कौन सा ऐसा स्टेट है, जिसके साथ नॉर्मल उसकी भाषा के साथ दूसरी भाषा नहीं चलती है?जी सही हो तो आखिर प्रॉब्लम कहाँ है? कौन सी 25 भाषाएं छीन ली?जी किस किस से ये कह रहे है की 25 भाषायी कुछ छीन ली इसका नाम भी तो बता दें 25 भाषाओं का।और माननीय श्री स्टालिन जी उनके सुपुत्र हो उदय जी स्टालिन।वो हिंदू हैं, आप क्रिस्चन है।वो किसको गाली दे रहे है की हिंदू एक बिमारी है, ठीक है? पर आप भी तो हिंदू ही है?आपके पिताजी वो मुस्लिम क्रिस्चन है, आप हिंदू हैं।आप हिंदू को गाली दे रहे हैं, कभी आप मुस्लिम बन जाते हैं, वोटबैंक के लिए कभी हिंदू बन जाते हैं, कभी आप दलित बन जाते है आजकल की जो आम पब्लिक है वो सब जानती है।
एक्चुअल
हर मिडिल, अपर मिडल क्लास से लेकर टॉप क्लास तक सब अपने बच्चों को हिंदी सिखाते हैं, हिंदी क्लास लगवाते हैं, इंग्लिश भी लिखवाते हैं और तमिल भी सिखाते हैं।क्योंकि वो उनके पास पैसा है। बेचारा गरीब लोगों के पास पैसा नहीं है, सरकारी स्कूल में जाते हैं, आम जनता है तो इस हिंदी सीख जाएगी तो हमारे साथ सवाल जवाब करेगी और हमारी पॉलिटिक्स कैरिअर को खतरा हो सकता है। ये है सारा बाकी हिंदी से आज तक नॉर्थ में किसी को प्रॉब्लम नहीं हुई बहुत सारे स्टेट में।कल्चरल भाषा भी चल रही है और हिंदी भी चल रही है। फिर म.के. स्टालिन जी, इनको क्या दिक्कत है?कुछ क्लेरिफाई तो करें।
मुद्दा क्या है

दिक्कत है कहाँ पर?क्या दिक्कत हो जाएगी? अगर हिंदी भी आ जाएगी तो तमिल कहा जाएगी।बहुत से राज्य में हिंदी है तो क्या भाषाएं लुप्त हो गई है?किसी स्टेट में कोई भी भाषा ख़तम नहीं हुई हैं. हिंदी से किसी को कोई दिक्कत पैदा नहीं हुई। वहा पे जनरल लैंग्वेज भी चल रही है और हिंदी भी चल रही है। साथ में इंग्लिश भी चल रही है। सब अपना फायदा तीन तीन लैंग्वेज के साथ फायदा उठा रहे है। जिंदगी में बहार जाये तो नौ दिक्कत या राज्य दर राज्य रहें तो नौ दिक्कत तो फिर क्या है?लॉजिक क्या है जिसमें हमारे माननीय CM M.K Stalin जी को क्या दिक्कत है?
28 में 23 स्टेट्स हिंदी भाषा
ये कौन सी 25 भाषाएं हैं जिन पर कहा गया है कि आपने कौन सी भाषा को खत्म कर दिया, आपने क्या गलत किया है? एक भाषा का नाम बताइए। उन 25 भाषाओं का नाम बताइए जिनमें हिंदी है, लेकिन किसी को आज तक कोई दिक्कत नहीं हुई। बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब को ही ले लीजिए। क्या पंजाब में पंजाबी पॉपुलर नहीं है? तो आपने हिंदी में कहां दिक्कत पैदा की, वहां गुजरात में गुजराती पॉपुलर है, तो क्या आपने हिंदी में दिक्कत पैदा की? महाराष्ट्र में मराठी पॉपुलर है, तो क्या हिंदी ने दिक्कत पैदा की, यहां मराठी फिल्में भी बनती हैं। मराठी फिल्में देखी भी जाती हैं, मराठी बोली भी जाती है। फिर आपका लॉजिक कहां फिट बैठता है?
अच्छी राजनीति
उदयनिधि स्टालिन जी, आपके पापा क्रिस्चन बन गए तो आप क्रिस्चन नहीं बने और चलो हिंदू है, आप तो हिंदुओं के बीच में कोई कमी है।तो आपको उस कमी को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए, उसको उजागर करने की कोशिश करनी चाहिए। बोल दो डेंगू बोल दो की आपको इतना ही आता है इतनी बढाई दी आपने किसी ने कुछ भी लिखकर दिया बोल दिया?
ग्राउंड रियलिटी
एक बार कभी तमिलनाडु की जनता से भी पूछ लिया करो, के हिंदी भाषा को आपके यहाँ पे लागू किया जा रहा हो तो आपको दिक्कत है क्या? आप जो भी डिसिशन लोंगे, आपकी पब्लिक मान लेंगी।एंड ऑफ द ऑ हिंदी तो तमिलनाडु में आनी है, क्योंकि यह कोई आज तक किसी भी की लैंग्वेज को खराब नहीं किया। इसने ऐडिशनल आज में ही काम किया।तो फिर आपका पॉलिटिक्स?करियर के बारे में सोचिए अगर आपने इसका साथ नहीं दिया और बाद में ये हो गया।तो थोड़ा सोच विचार करना जरूरी है। ग्राउंड रियलिटी भी जानना जरूरी होता है।
अस्वीकरण
हमारे इस आर्टिकल का किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई मकसद नहीं है या हमारे स्वतंत्र विचार है।और हम सिर्फ इतना चाहते है की हमको क्या लगा इसमें वो हमने, अपने विचार व्यक्त किये है।और कुछ नहीं
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